बदहाली से जकड़ा शहर, समस्याओं से जूझते लोगों में आक्रोश
बबलू चक्रबर्ती
एटा ।
नगरपालिका के नक्कारेपन के चलते नगर में पसरी पड़ी समस्याओं और उनसे जूझते नगरवासियों में अंदर ही अंदर आक्रोश की ज्वालामुखी धधकने लगी हैं जो कभी भी लावा बनकर फूट सकती है । शोशल मीडिया में फूट रहे इस आक्रोश के स्वर में लोगों का आरोप है कि सम्पूर्ण शहर बदहाली से जूझ रहा है बाबजूद कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधी इस तरफ ध्यान नही दे रहा । यही कारण है कि शहर में समस्याओं का जाल बढ़ता ही जा रहा है । जिसमें जकड़े लोग भीषण गर्मी में उतपन्न होती बीमारियों के भय से भयभीत है और वे मजबूरन इस नरक भरे माहौल में बदहाल जीवन जीने को विवश है । प्रमाण स्वरूप शहर के मोहल्ला रेवाड़ी और सिविल लाइन सहित कई इलाको के बाशिंदे जहां पानी का रोना रो रहे है तो बाकी शहरवासी सुखी टोंटी,खराब पड़े नल, टूटी सड़कें कूड़े से सजी गलियां और सिल्ट से भरी नालियां के साथ साथ रात्री के समय अंधेरे में डूबे शहर से दुखी है । जो नगर पालिका के नक्कारेपन की जैसे खुद गवाह है । अगर गंदगी पर गौर किया जाये तो शहर के ठंडी सड़क, किदवई नगर, नन्हूमल चौराहा,जिला अस्पताल,निधौली रोड आदि स्थानों पर सजे कूड़े के ढेरों से या तो मासूम बच्चे कबाड़ खोज रहे हैं या जानवर अपना आहार । लेकिन साहब और मैंमसहाब न जाने कहाँ गुमनामी के अंधेरे में चैन की नींद सोये हुये है । जनपद के अधिकारी भी शहर की इस बदहाली पर नजर डालने की जहमत नही उठाते । अब ऐसे में तो लगता है जैसे शहर की जनता को इस अंधेर नगरी चौपट राज में विकास की आस छोड़नी ही पड़ेगी ।
जनहित की खबरों के लिये पड़ते रहे मनसुख टाइम्स के आने बाले धमाकेदार अंक ....
बबलू चक्रबर्ती
एटा ।
नगरपालिका के नक्कारेपन के चलते नगर में पसरी पड़ी समस्याओं और उनसे जूझते नगरवासियों में अंदर ही अंदर आक्रोश की ज्वालामुखी धधकने लगी हैं जो कभी भी लावा बनकर फूट सकती है । शोशल मीडिया में फूट रहे इस आक्रोश के स्वर में लोगों का आरोप है कि सम्पूर्ण शहर बदहाली से जूझ रहा है बाबजूद कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधी इस तरफ ध्यान नही दे रहा । यही कारण है कि शहर में समस्याओं का जाल बढ़ता ही जा रहा है । जिसमें जकड़े लोग भीषण गर्मी में उतपन्न होती बीमारियों के भय से भयभीत है और वे मजबूरन इस नरक भरे माहौल में बदहाल जीवन जीने को विवश है । प्रमाण स्वरूप शहर के मोहल्ला रेवाड़ी और सिविल लाइन सहित कई इलाको के बाशिंदे जहां पानी का रोना रो रहे है तो बाकी शहरवासी सुखी टोंटी,खराब पड़े नल, टूटी सड़कें कूड़े से सजी गलियां और सिल्ट से भरी नालियां के साथ साथ रात्री के समय अंधेरे में डूबे शहर से दुखी है । जो नगर पालिका के नक्कारेपन की जैसे खुद गवाह है । अगर गंदगी पर गौर किया जाये तो शहर के ठंडी सड़क, किदवई नगर, नन्हूमल चौराहा,जिला अस्पताल,निधौली रोड आदि स्थानों पर सजे कूड़े के ढेरों से या तो मासूम बच्चे कबाड़ खोज रहे हैं या जानवर अपना आहार । लेकिन साहब और मैंमसहाब न जाने कहाँ गुमनामी के अंधेरे में चैन की नींद सोये हुये है । जनपद के अधिकारी भी शहर की इस बदहाली पर नजर डालने की जहमत नही उठाते । अब ऐसे में तो लगता है जैसे शहर की जनता को इस अंधेर नगरी चौपट राज में विकास की आस छोड़नी ही पड़ेगी ।
जनहित की खबरों के लिये पड़ते रहे मनसुख टाइम्स के आने बाले धमाकेदार अंक ....
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